की अरमानों की धुंधली सी तस्वीर
इनकी गूँज है वहाँ
जहाँ है जल है, गगन है और है समीर
सागर की लहरों की सरगम से
मैंने सजाया है इनका रूप
इनके हर कण में है बसी
मेरे अनुभवों की छाँव और धूप
जब-जब इन गीतों को मैंने गाया
संग मेरे है मग्न हुया धरती का भी साया
मदहोश हो हवाएँ खिलखिलाने लगीं
चारों दिशाएँ भी इसे गले लगा अपनाने लगीं
भीनी सी खुशबू छाने लगी देखो चारों ओर
चुपके-चुपके आई फिर रात घनघोर
संग मेरे गाने लगे चाँद और तारे
आ बैठे पास मेरे प्रकृति के नज़ारे
मैं खुश हूँ, बहुत खुश हूँ
की मेरे गीत हैं ऐसे
मेरी छवि, मेरी गति, खुद मेरी तकदीर ...
बहुत ही अच्छा लिखते हो जनाब लगे रहिये (Keep going so Inspirational and motivational)
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