Thursday, November 6, 2014

यादें

 यादें जीने का सहारा हैं
बहती हुयी नदी का सिमटा सा किनारा हैं,
अच्छी या बुरी यादें तो बस यादें हैं
चाहकर भी जो हों न पूरे ऐसे वादे हैं
 मिलन की कसक में, तड़प में
जब जीवन बेजान हो चले
तो दर्द को मिलती है राहत
यादों के कोमल आँचल तले
अकेली तन्हा ज़िन्दगी में भी
यादें तो चहकतीं हैं
बिन फूल, बिन बाग़ के भी
यादें तो महकती हैं
सुने चेहरे की मुस्कान हैं
यादें किसी अपने की पहचान हैं
सपना या ख़्वाब चाहे जो  हो नाम
इनके साये ने किसी को किया आबाद, किसी को बदनाम
चूड़ियों की खनक में, पायल की छनक में
इनका अस्तित्व रहता है अमर
ज्यों चाँद की याद में
रात है जागती अनेकों पहर
रेत की तरह बह जाती
वक़्त की तरह बढ़ती जाती
यादें तो बस यादें हैं
जो किसी की न हो पाती। 

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